जिस तरह से मीडिया सुशांत केस कवर कर रहा है, मेरे जैसे युवा जो रोज रोजगार. कॉम पर नौकरी और शिक्षा.कॉम पर जर्नलिज्म और ना जाने कितने कोर्स की फीस देख रहे है,सपना बैठाए है एक अच्छा आईएएस अधिकारी बनने का, एक बेहतर पत्रकार जैसे कि रवीश कुमार, अजित अंजुम, नीलम सिन्हा, अंजना ओम कश्यप जगह हम भी बैठेंगे, वो सब मिनटों में धराशाई हो गया है और फायदा भी क्या होगा अगर रवीश कुमार, अजित अंजुम, नीलम सिन्हा, अंजना ओम कश्यप और रोहित सरदाना बनने के बाद भी हम अपने रिपोर्टर्स को गाड़ियों के आगे पीछे भगवाए..!
कोई फायदा है मीडिया में जाने का, हमे तो समझ नहीं आ रहा, सच्ची पत्रकारिता तो हम यूट्यूब पर चैनल बना के भी कर सकते हैं..!
मीडिया को ऐसे ही नहीं चौथा स्तंभ कहा जाता है,टीवी वालो को अगर बोल दिया जाए कि आपको जनता के दिमाग में ये बात घुसानी ही हैं तो वो हर कीमत पर ऐसा कर देंगे,चार चैनल बदलिए आपको समझ नहीं आयेगा सच क्या हैं..!
2 मिनट रवीश कुमार का वीडियो देखने पर आपको GDP, बेरोजगारी के आंकड़े देख कर समझ में आने लगेगा कि आगे आने वाला गड्ढा कितना गहरा हैं पर जिस भी वक्त आपने आजतक लगाया, मोदीजी की सारी उपल्बधियां सामने की सारी दिक्कतों को छुपा देगी..!
कितना अच्छा दिखता है ना फिल्म स्टार उपर से बिहारी उसकी लिव इन पार्टनर, बॉलीवुड, ड्रग्स और पता नहीं क्या क्या आरुषि हेमराज हत्याकांड, निठारी कांड के बाद मीडिया को पहली बार इतनी मसालेदार खबर मिली हैं की वो एक लड़की के घर से निकलने से लेकर ऑफिस पहुंचने तक का भी एक प्राइम टाइम शो बना सकता है..!
मुहिम सच दिखाने की नहीं हैं, मुहिम ये है कि ऐसा क्या दिखा दे की सारे रिकॉर्ड्स टूट जाए, अरे भाई सलमान खान की शादी में अभी भी वक्त है..!
जिस खबर को मीडिया एक गोल्डन ऑपर्च्युनिटी की तरह ट्रीट कर रही हैं, वो दरअसल कुछ नहीं एक सामाजिक सच्चाई हैं ।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रेप के आंकड़े असल में उससे काफी ज्यादा होते है जितने बताए जाते हैं, इसका मात्र कारण घर परिवार की इज्जत का मिट्टी में मिल जाना ही होता हैं! ठीक उसी प्रकार, हम मानने को तैयार नहीं हो सकते की एक इंसान अपनी जिंदगी में इतना भी हार सकता है कि वो आत्महत्या कर ले.! बस मीडिया वाले इसी सोच का फायदा उठाते हैं..!
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