नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद,एक दिन अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ रेस्तरां में खाना खाने गए..! खाने का आर्डर दिया और उसके आने का इंतजार करने लगे..!
उसी समय मंडेला की सीट के सामने एक व्यक्ति भी अपने खाने का आने का इंतजार कर रहा था,मंडेला ने अपने सुरक्षाकर्मी को कहा,उसे भी अपनी टेबुल पर बुला लो। ऐसा ही हुआ,खाना आने के बाद सभी खाने लगे,वो आदमी भी साथ खाने लगा,पर उसके हाथ खाते समय काँप रहे थे। माथा पसीने से तर था,खाना खत्म कर वो आदमी सिर झुका कर होटल से निकल गया..!
उस आदमी के खाना खा के जाने के बाद मंडेला के सुरक्षा अधिकारी ने मंडेला से कहा कि वो व्यक्ति शायद बहुत बीमार था। खाते वक़्त उसके हाथ लगातार कांप रहे थे। वह भी कांप रहा था और पसीना भी आ रहा था। घबराया सा भी लग रहा था..!
मंडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है।। वह उस जेल का जेलर था,जिसमें मुझे रखा गया था।। जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती और मैं कराहते हुये पानी मांगता तो ये गाली देता हुआ मेरे ऊपर पेशाब करता था..!
मंडेला ने कहा मैं अब राष्ट्रपति बन गया हूं,उसने समझा कि मै भी उसके साथ ऐसा ही व्यवहार करूंगा पर मेरा यह चरित्र नहीं है।
मुझे लगता है बदले की भावना से काम करना विनाश की ओर ले जाता है। यही धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता ही हमें विकास की ओर ले जाती हैं..!
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