Thursday, January 6, 2022

लोकतंत्र में नेता नहीं नागरिकों का महत्व.!

 लोकतंत्र में नेता का नहीं नागरिकों का महत्व होता है, लोकतंत्र सरकारों के नही समाज के हित को साधने वाली व्यवस्था है। लोकतंत्र की शक्ति किसी भी देश के नागरिक होते हैं, नेता या राजनैतिक दल नही। 


नागरिकों की प्रतिबद्धता देश के लिए होती है दलों के लिए नही। किंतु जब नागरिक दलों के चश्मे से देश को देखने लगते हैं तब वे दलों के कार्यकर्ता हो जाते हैं। 

यह सत्य है की हर कार्यकर्ता देश का नागरिक होता है, किंतु यह भी उतना ही सत्य है कि हर नागरिक कार्यकर्ता नही होता। 

कार्यकर्ता दल के हित को ही देश का हित बताता है, इसलिए वो अपनी शक्ति दल को शक्तिशाली बनाने में ख़र्च करता है। किंतु नागरिक दलों के नही, देश के कल्याण के लिए उद्यम करते हैं। 


स्मरण रखने योग्य ये है कि हम किसी भी दल के कार्यकर्ता होने से पहले देश के नागरिक होते हैं। किसी राजनैतिक दल का कार्यकर्ता होने से अधिक गौरवशाली देश का नागरिक होना है। विश्व में हमारी पहचान पार्टी कार्यकर्ता की नही बल्कि भारतीय नागरिक की है। इसलिए हमें अधिक सजग रहना होगा क्योंकि नागरिकों का चाल, चरित्र, चिंतन देखकर ही दुनिया उस देश के बारे में अपनी धारणा बनाती है। 


याद रखिए- जैसे नागरिक वैसे नेता, जैसे नेता वैसा देश और जैसा देश वैसे नागरिक। व्यवस्था का यह चक्र नागरिकों से शुरू होकर नागरिकों पर ही समाप्त होता है, इसलिए लोकतंत्र नेताओं का नही नागरिकों का तंत्र होता है....!

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