आजादी दिलाने के प्रयासों के क्रम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक बार हिटलर से मिलने गए. उस वक्त का एक रोचक किस्सा है...! दरअसल जब वह हिटलर से मिलने गए तो उन्हें एक कमरे में बिठा दिया गया.! उस दौरान दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था और हिटलर की जान को खतरा था, अपने बचाव के लिए हिटलर अपने आस-पास बॉडी डबल रखता था जो बिल्कुल उसी के जैसे लगाता था.!
थोड़ी देर बाद नेता जी से मिलने के लिए हिटलर की शक्ल का एक शख्स आया और नेताजी की तरफ हाथ बढ़ाया. नेताजी ने हाथ तो मिला लिया लेकिन मुस्कुराकर बोले आप हिटलर नहीं हैं मैं उनसे मिलने आया हूं।। वह शख्स सकपका गया और वापस चला गया,थोड़ी देर बाद हिटलर जैसा दिखने वाला एक और शख्स नेता जी से मिलने आया..! हाथ मिलाने के बाद नेताजी ने उससे भी यही कहा कि वे हिटलर से मिलने आए हैं ना कि उनके बॉडी डबल से...!
इसके बाद हिटलर खुद आया, इस बार नेताजी ने असली हिटलर को पहचान लिया और कहा, '' मैं सुभाष हूं... भारत से आया हूं.. आप हाथ मिलाने से पहले कृपया दस्ताने उतार दें क्योंकि मैं मित्रता के बीच में कोई दीवार नहीं चाहता.'' नेताजी के आत्मविश्वास को देखकर हिटलर भी उनका कायल हो गया...! उसने तुरंत नेताजी से पूछा आपने मेरे हमशक्लों को कैसे पहचान लिया. नेताजी ने उत्तर दिया- 'उन दोनों ने अभिवादन के लिए पहले हाथ बढ़ाया जबकि ऐसा मेहमान करते हैं.' नेताजी की बुद्धिमत्ता से हिटलर प्रभावित हो गया..! फिर हिटलर ने बोस जी से बहुत देर तक बातें की क्योंकि हिटलर ज्यादा किसी से मिलता नहीं था और ना ही बात करता था लेकिन नेताजी की विशाल शख्सियत के आगे भी हिटलर को झुकना पड़ा..!
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