स्वार्थ की राजनीति.!
आज के समय में सभी राजनीतिक पार्टियां दूसरे दल से आए हुए उन तमाम नेताओं को तुरंत तरहीज देती है,उसे टिकट देकर चुनाव भी लड़वाती है उसके बाद इन नेताओं को चुनाव जीतने के बाद सत्ता सुख भोगने के भरपूर मौका देती उन्हें मंत्री भी बना देती हैं। जबकि इनके ख़ुद के कार्यकर्ता पार्टी के लिए जीजान से युवा से लेकर बुढ़ापे तक मेहनत करते हुए पता चलता है कि एक दिन स्वर्गलोक को चले जाते हैं उन्हें किसी भी तरह का कोई भी मौका नहीं मिल पाता है।
जबकि दूसरे दलों से आए हुए ये स्वार्थी नेता लोग 5 साल सत्ता का भरपूर आनंद लेते हैं और फिर जब चुनाव आता है तो पुनः दूसरे दल के दरवाजे पर भिखारी की तरह हाथ फ़ैलाते हुए चले जाते विडंबना देखिए कि वहां हर्ष के साथ अपना भी लिया जाता है। ख़ैर जाए भी क्यों न उसे वहां उसको लाभ दिखाई देता है लेकिन जब वो जिस पार्टी में जाते हैं और वो पार्टी सत्ता में दुबारा नहीं आती है तो बेचारे कहीं के नहीं होते हैं।😀😁
दरबदर भटकते रहते हैं, और फिर CBI, ED, income Tax के छापेमारी में ही इनकी जिंदगी बीत जाती है और फिर किसी को हार्ट अटैक तो किसी को कैंसर और धीरे धीरे ये नेता लोग विलुप्त होने लगते हैं..!😃😀
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