जंगल में एक गर्भवती हिरणी बच्चे को जन्म देने को थी इसलिए वो एकांत जगह की तलाश में इधर- उधर घुम रही थी,कि तभी उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी।। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिए वहां पहुंचते ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई..! उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को गरजने लगा और जोरों की बिजली कड़कने लगी...!
उसने अपनी दाएं ओर देखा,तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था,घबराकर वह दाहिने मुड़ी,तो वहां एक भूखा शेर झपटने को तैयार बैठा था,ठीक सामने सूखी घास आग में पकड़ चुकी थी और पीछे मुड़ी तो खाई थी।।
मादा हिरणी क्या करती? वह प्रसव पीड़ा से व्याकुल थी।। अब क्या होगा ? क्या हिरणी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरणी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरणी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे खाई वाली नदी बह रही थी,तो अब क्या करेगी वो?
हिरणी ने अपने आप को शून्य में छोड़ कर अपने बच्चे को जन्म देने में लग गई,कुदरत का करिश्मा देखिए....बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गई उसका तीर हिरणी के पास से गुजरते,शेर की आँख में जा लगा,शेर कराहता हुआ इधर उधर भागने लगा,और शिकारी शेर को घायल ज़ानकर भाग गया.........घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी।। हिरणी ने शावक को जन्म दिया.....!
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है,जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते।। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।।अन्तत:यश,अपयश,हार,जीत,जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।। हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए.....!
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