फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास 'परती परिकथा' में एक पात्र है लुत्तो! वह उपन्यास के नायक जीतन से चिढ़ा रहता है, और हमेशा अपने मासूम(मूर्ख) समर्थकों की भीड़ लेकर जीतन को परेशान करने का प्रयास करता रहता है। एक बार जब वह हजारों की भीड़ को झूठा भय दिखा कर जीतन को मारने के लिए उकसा लाता है तो मन ही मन सोचता है- "यह भीड़ जल्दी से जल्दी जीतन को चीड़ फाड़ क्यों नहीं देती... जनता सब कुछ तहस नहस क्यों नहीं कर देती..."
जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को जल्दी से जल्दी उखाड़ कर फेंक देने की बेचैनी में मर रहे इन टुच्चे पत्रकारों को देख कर मुझे परती परिकथा का वह धूर्त लुत्तो याद आता है। ईसाई मिशनिरिओं की छोड़ी हड्डियों पर पलने वाले ये नीच यदि पा जाएं तो शायद दांत काट कर मार दें उनको...
पिछले वर्ष भर से बंगाल में रोज ही राजनैतिक कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याएं हो रही हैं, केरल में भी ऐसी हत्याएं आम हैं। पर ईसाई मिशनरियों के हाथों अपनी आत्मा बेंच चुके इन धूर्त लेखकों/पत्रकारों के लिए वह टेरर नहीं है। लेकिन कभी दंगा प्रदेश बन चुके राज्य में पिछले पाँच वर्ष में कोई भी दंगा नहीं हुआ, फिर भी इन्हें यूपी में टेरर दिख रहा है।
मेरे एक परिचित हैं। नीतीश कुमार के शासन के पहले उनके पिताजी मीरगंज स्टेशन पर पॉकेटमारी करते थे। वे आजकल योगी आदित्यनाथ को आतंकी बताते हैं। सुबह जगने से ले कर रात को सोने के समय तक वे पानी पी पी कर मोदी योगी को कोसते हैं।
नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने अपने विरोधियों की जितनी घृणा झेली है, उतनी घृणा किसी राजनीतिज्ञ को नहीं मिली। सोच कर देखिये, क्या इस घृणा का कारण केवल सरकार की कमियां हैं? नहीं! कमियां तो हर सरकार में होती हैं, पर पहले ऐसी घृणा नहीं दिखी कभी। दरअसल इस घृणा का कारण है हिंदुत्व! इस घृणा का कारण है हिंदुत्व का पुनरूत्थान! ईसाई उत्कोच से पल रहे इन धूर्तों को हिन्दू और हिंदुत्व से इतनी पीड़ा है कि वे इसे रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। मोदी योगी और अमित शाह के लिए दशक भर से किया जा रहा विषवमन इसी घृणा का नतीजा है।
पर ये धूर्त नहीं जानते कि दानवी घृणा भी देवत्व को पुष्ट करती है। इन नीच प्रपंचियो की घृणा ही योगी आदित्यनाथ के लालकिला तक पहुँचने का मार्ग प्रसस्त करेगी। राजनीति में कुछ भी पाँच वर्ष के लिए नहीं होता...
तुम्हारी पीड़ा कभी समाप्त नहीं होगी बिके हुए लोगों। मोदी के बाद जो आएगा वह मोदी से बड़ा 'मोदी' होगा, योगी के बाद जो आएगा वह योगी से बड़ा 'योगी' होगा। युग बदल गया है।
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