Thursday, December 8, 2022

प्रेम में भावुकता पन!

हम जीवन में बहुत कुछ सीखते हैं। इनमें एक ज़रुरी चीज़ है इमोशनल मैनेजमेंट। अक्सर मज़बूत और समझदार समझे जाने वाले लोग भी अतिभावुकता में अपना नुकसान कर बैठते हैं। भावुक होना अच्छा है, लेकिन ख़ुद को दुख पहुंचाना किसी सूरत अच्छा नहीं।


सबसे ज़्यादा सेल्फ-हार्मिंग होता है प्रेम में टूटना। प्रेम..जिसके लिए तमाम आदर्श स्थापित है। बड़ी सुंदर सुंदर बातें पढ़ी-सुनी हैं हमने। लेकिन असल में ‘प्रेम’ के नाम पर ही तमाम खेल भी होते हैं। खिलाड़ी का कुछ नहीं बिगड़ता, मगर जिसके साथ खेला गया है वो जाने कितनी देर तक फुटबॉल की तरह इधर-उधर लुढ़कता रह जाता है। अरसे तक तो अस्वीकार की स्थिति ही बनी रहती है, और फिर उसके बाद नैराश्य, अवसाद, उदासी, अविश्वास जैसे तमाम भाव उपजने लगते हैं। कई बार तो मेडीकल कंडीशन तक बन जाती है। इसीलिए हमें अपने भावपक्ष पर काम करना बहुत ज़रूरी है।


आज के समय जब तमाम रिश्तों की परिभाषाएं बदल रही हैं, प्रेम भी इससे अछूता नहीं। पहले तो वो ‘प्रेम’ है..ये तय करना मुश्किल। डेटिंग एप्स के बाज़ार सजने के बाद तो ये खेल और ज़ोर शोर से जारी है। इसीलिए कुछ बातों को समझना ज़रूरी है। इन नई ‘terminology’ को जानना चाहिए, ताकि कभी इससे गुज़रे तो पता हो कि हमारे साथ दरअस्ल हो क्या रहा है।  इमोशनल होना अच्छा है, लेकिन इस कारण बेवकूफ न बनें।


पवित्र, सच्चा, बिना शर्त, प्लेटोनिक प्रेम की अव्यावहारिकता से बाहर आकर इन स्थितियों को समझिए- 


Gaslighting -  ‘गैसलाइटिंग’ को वर्ड ऑफ द ईयर के रूप में चुना गया है। सरल शब्दों में इसका मतलब अपने फायदे के लिए दूसरे को भरमाना है। इसमें एक पक्ष दूसरे के साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर खेलता है। किसी को इस तरह से भ्रमित कर दिया जाए कि पीड़ित शख्स अपने विचारों पर, अपनी काबिलियत पर शक़ करने लगे। ये किसी भी तरह के संबंधों में किया जा सकता है।


Pocket Relationship – इसमें ज्यादातर एक पक्ष (कभी कभी दोनों भी) अपने रिश्ते को छिपाकर रखना चाहते हैं। जैसे कपड़ों के पॉकेट चीजें छिपाई जाती है, उसी तरह। जब बात दोतरफ़ा हो तो ठीक है, लेकिन अगर एक पार्टनर ऐसा कर रहा है बिना किसी जायज़ वजह के, तो आप एक असुरक्षित रिश्ते में हैं।


Situationship - प्रॉपर रिलेशनशिप से कम लेकिन कैजुएल रिलेशनशिप से ज्यादा। एक या दोनों पार्टनर के मन में फीलिंग है, लेकिन वो इसे स्वीकारने को तैयार नहीं। आप न ऑफिशियली रिलेशनशिप में हैं, न ही ये दोस्ती भर है। अक्सर ऐसा एक पार्टनर के साथ होता है कि वो भावनाओं से भर जाता है लेकिन सामने वाले पर कोई असर नहीं। यहां दोनों के बीच रोमांस भी है, लेकिन इसे कमिट नहीं करना है। ये स्थिति तब खतरनाक है जब कोई एक पार्टनर इमोशनल हो और दूसरे को रत्ती भर फर्क न पड़े।


Breadcrumbing – किसी के द्वारा रोमांटिक या फ्लर्टिंग वाले संदेश-संकेत देना, लेकिन नॉन-कमिटेड होकर। कभी आपको लेकर वो एकदम से उत्साहित, प्रेमिल हो जाए और फिर कुछ ही समय बाद व्यवहार एकदम ठंडा पड़ जाए। आप कन्फ्यूज़ रहें कि आप दोनों के बीच आख़िर है क्या। यह इमोशनल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।


Love Bombing - लव बॉम्बिंग शुरू में अच्छी लग सकती है। इसमें एक पार्टनर दूसरे के लिए अत्यधिक केयरिंग और प्रेमिल हो जाता है। जैसे प्यार का बम फोड़ दिया हो। धीरे-धीरे उसे खुदपर निर्भर और बाध्य महसूस कराने लगता है। पहले आपको प्यार से लबरेज़ कर देता है और फिर कुछ समय बाद उसका व्यवहार बदल जाता है। आप जैसे मझधार में फंस जाते हैं।


Ghosting – अचानक ही, बिना किसी कारण के आपसे सारे संबंध संपर्क खत्म कर देना। हर जगह से गायब हो जाना। असल जीवन से लेकर मैसेज, कॉल और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अचानक नदारद हो जाना। यहां आप ख़ुद से पूछते ही रह जाएंगे कि आख़िर हुआ क्या है, आपकी ग़लती क्या है। इन सवालों के जवाब कभी नहीं मिलेंगे।


PS : ऐसी तमाम और बातें हैं और ये किसी के साथ भी हो सकता है। इसमें कोई जेंडर निर्धारित नहीं। बस जो पक्ष सच्चा-सरल होगा, वो परेशान रहेगा। जो खेल रहा है, वो खेलकर निकल जाएगा। इसीलिए खुद को इमोशनल टॉर्चर से बचाइये और अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान दीजिए। आप सबसे अहम हैं..ये याद रखिए।